धनतेरस आरती: आरती के श्लोकों का पूरा अर्थ और व्याख्या
1. माँ लक्ष्मी का आवाहन
- ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता॥
भक्त माँ लक्ष्मी का सम्मान करते हैं। “ॐ जय लक्ष्मी माता” माँ लक्ष्मी को नमस्कार करते हैं। इस श्लोक में भगवान विष्णु सहित सभी देवता हर दिन माँ लक्ष्मी की सेवा करते हैं। माँ लक्ष्मी को सम्मान और श्रद्धा से पुकारा जाता है क्योंकि वे धन और सुख की देवी हैं।भक्त माँ लक्ष्मी का सम्मान करते हैं। “ॐ जय लक्ष्मी माता” माँ लक्ष्मी को नमस्कार करते हैं। इस श्लोक में भगवान विष्णु सहित सभी देवता हर दिन माँ लक्ष्मी की सेवा करते हैं। माँ लक्ष्मी को श्रद्धा और सम्मान से पुकारा जाता है
2. माँ लक्ष्मी को जगत जननी के रूप में वर्णित करना
- उमा, रमा, ब्रह्माणी,
तुम ही जग माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता॥
इस श्लोक में माँ लक्ष्मी को अन्य देवियों से तुलना की गई है, जैसे उमा (माँ पार्वती), रमा (माँ लक्ष्मी का दूसरा नाम), और ब्रह्माणी (माँ सरस्वती)। ऋषि नारद भी उनकी महिमा गाते हैं और सूर्य और चंद्रमा भी उनका ध्यान करते हैं। इस श्लोक में माँ लक्ष्मी को सृष्टि की माँ बताया गया है।
3. माँ लक्ष्मी को धन और समृद्धि की दाता के रूप में स्वीकार करना
- दुर्गा रूप निरंजनी,
सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
इस श्लोक में माँ लक्ष्मी को माँ दुर्गा के रूप में भी स्वीकार किया गया है, जो शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक हैं; वे सुख और सम्पत्ति प्रदान करने वाली हैं, और जो कोई भी उनका भक्तिपूर्वक ध्यान करता है, उसे ऋद्धि (संपत्ति) और सिद्धि (आध्यात्मिक उन्नति) की प्राप्ति होती है।
4. माँ लक्ष्मी को शुभ और कल्याणकारी के रूप में दर्शाना
- तुम ही हो पतिव्रता,
तुम ही शुभ दाता।
तुम बिन जीवन में,
कोई सुख न पाता॥
इस श्लोक में माँ लक्ष्मी, भगवान विष्णु की पत्नी, को “पतिव्रता” कहा गया है। इस श्लोक में कहा गया है कि वे ही सभी को आशीर्वाद और शुभता देती हैं। उनके बिना जीवन में सुख और शांति नहीं मिल सकती। जीवन में असली खुशी और खुशी उनके आशीर्वाद से मिलती है।
5. माँ लक्ष्मी की पूजा और अर्पण
- आसन, चांवर ढोल,
पद्म, तिलक, भाता।
दासों ने आरती गाई,
भगतों सुख दाता॥
इस श्लोक में माँ लक्ष्मी की आरती के दौरान की जाने वाली सामान्य पूजा की चर्चा की गई है। इन पूजा सामग्री में तिलक, पद्म (कमल का फूल), ढोल (ड्रम), चांवर (राजसी पंखा) और आसन (बैठने का स्थान) शामिल हैं। दास (भक्त) इस आरती को भक्ति भाव से गाते हैं और मानते हैं कि माँ लक्ष्मी अपने सच्चे भक्तों को खुशी और धन देती है।
निष्कर्ष
- धनतेरस आरती में माँ लक्ष्मी की महिमा और उनकी शक्ति की प्रशंसा की जाती है। यह आरती माँ लक्ष्मी को धन, समृद्धि और सुख की देवी के रूप में मानती है और उनके आशीर्वाद की मांग करती है। भक्त धनतेरस पर माँ लक्ष्मी से खुशहाली और सुख की प्रार्थना करते हैं।